शुक्रवार, 30 जनवरी 2009

प्रस्तावना हिन्दी में

हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण माध्यम के रूप में हिन्दी के विकास के लिए,राष्ट्रपति के आदेश से भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन सन १९६१ में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शव्दावली आयोग की स्थापना की.अब तक आयोग ने विभिन्न विषयों की तकनीकी शब्दावली का निर्माण ,अखिल भारतीय शब्दावली ,परिभाषा कोशों ,चयनिकाओं ,पाठमालायों ,तथा विश्‍वविद्यालय स्तर की हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषायों की पुस्तकों के निर्माण के विविध प्रयास किए हैं.

इन प्रयत्नों के होते हुए भी यह प्रतीत हुआ कि आयोग द्वारा प्रतिस्थापित शब्‍दावली का प्रयोग वांछित स्तर तक नही हो पा रहा है .इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आयोग ने विज्ञान की प्रमुख शाखाओं में भी मूलभूल शब्दावली की योजना का सूत्रपात किया है और इस दिशा में यह एक नया प्रयास है .इस योजना के अंतर्गत आयोग द्बारा कंप्यूटर विज्ञान की मूलभूत शब्दावली प्रकाशित की जा रही है .शब्दावली में सामान्य प्रयोग में आने वाले महत्वपूर्ण आधारभूत शव्दों का समवेश किया गया है .इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है की संकलन में केवल ऐसे शब्दों का ही उललेख हो जिन्हें स्नातक तथा स्नाकोत्तर स्तर के छात्र ,शोध-छात्र शिक्षक इत्यादि प्रायः प्रयोग में लेट हों .आशा है कि इस नए शब्द-संग्रह का व्यापक स्वागत और उपयोग होगा .
राष्‍ट्रीय महत्‍व के इस परियोजना को सफल बनाने में इससे जुडे विषय विशेषज्ञों , भाषाविदों तथा आयोग, विश्‍वविद्यालयो, मंत्रालयों और संस्‍थानो के अधिकारियों का योगदान प्रशंसनीय रहा है, जो प्रत्‍यक्ष और परोक्ष रूप में इसमें सहायक अथवा इससे संबद्ध रहे हैं।

प्रो प्रेम स्‍वरूप सकलानी
आयोग के अघ्‍यक्ष
नई दिल्‍ली
अक्‍तूबर 1996

2 टिप्‍पणियां:

  1. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग का काम बहुत सुस्त है। वे अचछी-२ घोषणाएँ करते हैं किन्तु उन पर समय पर ामल नहीं होता है।

    इसलिये आपने यह काम अपने हाथ लेकर अच्छा किया है। इसी तरह के बहुत से व्यक्क्तिगत प्रयासों से हिन्दी की सारी शब्दावली नेट पर आ सकती है। इससे हिन्दी का बहुत भला होगा।

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  2. "आयोग द्वारा प्रतिस्थापित शब्‍दावली का प्रयोग वांछित स्तर तक नही हो पा रहा हे" और यह नहीं ही होगा. हिन्दी में शब्द निर्माण की प्रक्रिया में जब तक आम आदमी को सम्मिलित नहीं किया जाता तब तक ये प्रयोग सार्थक नहीं हो सकते.

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